फुलटू मसाला फिल्म है ईशान खट्टर और अनन्या पांडे की ‘खाली पीली’
खाली-पीली निर्देशक मकबूल खान की फिल्म है.
Khali Peeli Movie Review: ईशान खट्टर (Ishaan Khatter) और अनन्या पांडे (Ananya Panday) स्टारर फिल्म ‘खाली पीली’ (Khali Peeli) रिलीज हो गई है. ये जोड़ी इस फिल्म के जरिए पहली बार स्क्रीन पर साथ नजर आ रही है. जानें कैसी है ये फिल्म.
‘खाली पीली’ (Khali Peeli Movie Review) की कहानी शुरू होती है मुंबई में टैक्सी स्ट्राइक की रात को टैक्सी निकालने वाले एक ड्राइवर यानी ईशान खट्टर से, जो इस टैक्सी-हड़ताल का फायदा उठाकर पैसेंजरों से एक्स्ट्रा पैसे ले रहा है. इसी लालच में वो पूजा यानी अनन्या पांडे को अपनी गाड़ी में बैठा लेता है और यहीं से शुरू होती है भागम-भाग की कहानी. ब्लैकी यानी टैक्सी ड्राइवर ईशान खट्टर खुद भी टैक्सी यूनियन के एक ड्राइवर का हाफ मर्डर कर के भागा है. कहानी में पूजा और ब्लैकी का कनेक्शन भी है, जिसे जानने के लिए ये आपको फिल्म देखनी होगी.
‘खाली पीली’ एक फुल-ऑन मसाला फिल्म है जो धांसू एक्शन से लेकर लटके-झटके वाले गाने तक, बॉलीवुड मसाला फिल्म का हर फ्लेवर लिए हुए है. फिल्म के कई सीन आपके चेहरे पर स्माइल बिखेर देंगे. कहानी एक रात की है और क्लाइमैक्स में रात से दिन भी होता है, तो ज्यादा खिंचने जैसा कुछ है नहीं. फिल्म का सबसे प्लस पॉइंट है, ईशान और अनन्या की फ्रेश केमिस्ट्री. ये जोड़ी पर्दे पर नई है और काफी अच्छी भी लग रही है. डायलॉग में पूरा मुंबईया पुट है और अगर आपको मुंबई की ये टपोरी भाषा पसंद है तो आपको इस फिल्म को देखने में काफी मजा आएगा. हालांकि बहुत ज्यादा लॉजिक लगाने बैठेंगे तो मसाला फिल्म का लुत्फ नहीं उठा पाएंगे.
हिंदी सिनेमा बड़ी स्क्रीन के लिए बना है और निर्देशक मकबूल खान की भी ये फिल्म बड़े पर्दे पर देखने के लिए बनी है. हालांकि कोरोना के इस दौर में इस फिल्म को ओटीटी पर रिलीज किया गया है, लेकिन ऐसी मसाला फिल्में अपने गानों, डायलॉग्स और एक्शन सीन पर सिंगल स्क्रीन्स में दर्शकों को उछलने पर मजबूर करने के लिए बनाई जाती हैं. ईशान ने अपने अंदाज में कोशिश तो वहीं की थी और अनन्या भी अपनी कुछ फिल्मों के बाद इस फिल्म में काफी कॉफिडेंट नजर आ रही हैं.
फिल्म की खामियों की बात करें तो स्टोरी में कुछ भी ऐसा नया या अनोखा नहीं है जो आपने इससे पहले किसी फिल्म में न देखा हो. साथ ही सेकंड हाफ में चीजें पर्दे पर होने से पहले आपके दिमाग में होने लगती हैं. जैसे ट्रैफिक जाम में फंसे ब्लैकी और पूजा मेला देखने उतर जाते हैं और पुलिस से बचने की कोशिश करते हैं, पर अगले ही पल स्टेज पर नाचने लगते हैं.
फिल्म का फर्स्ट हाफ मजेदार है. अगर आप बॉलीवुड मसाला फिल्मों के फैन हैं, ‘ढिशुम-ढिशुम’ देखने में मजा आता है तो ये फिल्म आपके लिए ही बनी है. मैं इस फिल्म को 2.5 स्टार देने वाली थी, लेकिन हाफ स्टार की बढ़ोतरी ईशान की मजेदार मुंबई के लिए तो बनता है.
डिटेल्ड रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |