ऑस्ट्रेलियाई महान स्पिनर शेन वार्न को सलाम..



मैं लगभग एक दशक पहले शेन वार्न के साथ जो कि वॉर्नी के नाम से जाने जाते थे, जयपुर के एक होटल में पूल के किनारे बैठा हुआ था। यह एक टैली इंटरव्यू था और मैं इसके लिए दिल्ली से गया था।

उस समय वॉर्नी राजस्थान रॉयल्स के लिए मेंटर थे और ब्रिटिश अभिनेत्री एलिजाबेथ हर्ले के साथ उनके अफेयर के चर्चे चल रहे थे, जिसकी वजह से उनकी जिंदगी पर असर पड़ा था।

यह एक आकर्षक बातचीत थी, जहां एक लीजेंड द्वारा उनकी बातों से समझा जा सकता था। एक ऐसे व्यक्ति जो निरंतर स्थिरता से प्रेरित थे, जिनके अंदर अभी भी बहुत कुछ पाने की भूख को साफ महसूस किया जा सकता था।

गेंदबाजी करते समय उन्होंने बड़े-बड़े खिलाड़ियों को अपना शिकार बनाया था और वह अपने लेग स्पिन की कला को बेहद खूबसूरती से उपयोग करते थे।

यह एक लंबा साक्षात्कार था और उनके फॉर्म के लिए सही था, वॉर्न ने इसका आनंद लिया, क्योंकि उन्होंने क्रिकेट से संबंधित व्यापक मुद्दों के बारे में बातचीत की थी।

क्रिकेट की दुनिया में वार्नी ने अपने आपको एक शानदार गेंदबाज के रूप में स्थापित किया था। जनवरी 1992 में भारत के खिलाफ टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करते हुए उनकी गेंदों की रवि शास्त्री ने काफी धुलाई की थी, जिन्होंने उस मैच में दोहरा शतक बनाया था। वॉर्नी का ये मानना था कि नवजोत सिंह सिद्धू बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक थे। भारत के अपने पहले दौरे पर वॉर्न ने नवजोत सिद्धू और निश्चित रूप से सचिन तेंदुलकर के साथ कई चुनौतियों का सामना किया था।

19 साल की उम्र में वॉर्न ने इंग्लैंड की अपनी पहली यात्रा के दौरान खुलासा किया कि कैसे उन्होंने 1989 में इंग्लैंड में खूब पार्टी करके सिर्फ छह महीनों में 20 किग्रा वजन बढ़ा लिया था।

यहां तक कि अपनी हालिया अमेजन प्राइम डॉक्यूमेंट्री में भी वॉर्न ने बताया कि कैसे ब्रिस्टल में रहते हुए उनकी खुराक (हर दिन 10 पाइंट) में वृद्धि हो गई थी, जिससे 99 किलोग्राम तक वजन बढ़ गया था, जिसके बाद उनके माता-पिता भी उन्हें पहचान नहीं पा रहे थे।

खुद क्रिकेट का दीवाना होने के नाते, मैं अन्य जानकारों की तरह तेंदुलकर के साथ उनके बैटल रॉयल पर जुनूनी था। जहां भारत ने उनके और ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ खेलते हुए अपने शानदार करियर में हर मोड़ पर अपने खेल को आगे बढ़ाया, वहीं वॉर्नी ने हमेशा अच्छे पलों को याद किया था।

ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट के आइकन ने अपने 15 साल के शानदार करियर में 708 टेस्ट विकेट लिए। इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के पहले सीजन में राजस्थान रॉयल्स की कप्तानी करने के लिए यहां आए और युवाओं से भरी टीम के साथ जीत हासिल करने के बाद उनका भारत से जुड़ाव कई गुना बढ़ गया।

उन्होंने बॉल ऑफ द सेंचुरी फेंकी और 1993 के एशेज दौरे की अपनी पहली गेंद के साथ वह महान स्पिन गेंदबाज बन गए, माइक गैटिंग को एक जादुई गेंद फेंकी, जो बॉल ऑफ द सेंचुरी कहलाई।

उन्होंने ऐसी कई गेंदें फेंकी, एक गेंद वह भी थी, जिस पर एंड्रयू स्ट्रॉस को बोल्ड किया था।

वार्नी की प्रतिभा यह थी कि उन्होंने गेंद को एक अलग घुमाव दिया था, जिससे वह तेजी से स्पिन करा सकें। उन्होंने अपने मजबूत कंधों और मजबूत कलाइयों का इस्तेमाल कई तरह की घातक गेंदों को डाल कर किया था।

वार्नी 2005 के तीसरे एशेज टेस्ट में 600 टेस्ट विकेट लेने वाले इतिहास के पहले गेंदबाज बने। जब तक मैं उनसे मिला, तब तक वह बहुत फिट और मिस्टर हॉलीवुड जैसे बन गए थे।

एक प्रतिष्ठित क्रिकेटर, एक शोमैन और एक मास्टर खिलाड़ी को मेरा सैल्यूट., रेस्ट इन पीस वार्नी।

–आईएएनएस

आरजे/एएनएम

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button