इम्‍यून पावर बढ़ाएंगे ये योगासन, बीमारियों से रहेंगे दूर


हर वायरस के प्रभाव से बचे रह सकें, इस‍के लिए जरूरी है कि नियमित तौर पर योगाभ्‍यास किया जाए. इससे शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम रहेगा. शरीर कीअकड़न दूर होगी. आज शनिवार के लाइव योगा सेशन में कई महत्‍वपूर्ण योगाभ्‍यास सिखाए गए. कुछ लोग लंबे समय से वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं. ऐसे में उन्‍हें सर्वाइकल पेन की दिक्‍कत न हो और कंधे आदि मजबूत बने रहें इसके लिए कुछ सूक्ष्‍म व्‍यायाम बेहद कारगर होते हैं. साथ ही वृक्षासन जैसे ध्‍यानात्‍मक आसन भी महत्‍वपूर्ण हैं, जो शरीर को ऊर्जावान बनाने के साथ इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत बनाते हैं. इसके अलावा व्‍यायाम से पहले ये तीन नियम जरूर ध्‍यान रखें कि गहरा लंबा श्‍वास लें, गति का पालन करें और अपनी क्षमता के अनुसार योग करें. नियमित रूप से योग करने से शरीर में एनर्जी का संचार तो होता है. साथ ही कई प्रकार की बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है.

त्रिकोण आसन
इस आसन (Trikonasana) को करने के लिए सबसे पहले सीधा होकर जमीन पर खड़े हो जाएं. अब अपने पैरों को एक-दूसरे से तीन फीट की दूरी पर रखें. अब गहरी सांस लेते रहें. इसके बाद अपने दाएं हाथ को दाएं पैर के अंगूठे पर रखें और बाएं हाथ को आसमान की ओर सीधा उठाएं. ध्‍यान दें कि आपका बायां हाथ सिर के बिल्कुल ऊपर हो. अब अपने सिर को भी ऊपर की ओर उठाएं. इस दौरान आपके दोनों हाथ एक सीधी रेखा में होने चाहिए. कुछ देर इस स्थिति में रहें और गहरी सांस लेते छोड़ते रहें. इसके बाद इस आसन को दूसरे पैर की ओर दोहराएं.

मार्जरी आसन

मार्जरी आसन को अंग्रेजी में कैट पोज (Cat pose) के नाम से बुलाया जाता है. इसे कैट खिंचाव मुद्रा के रूप में भी जाना जाता है. इस आसन को करने से रीढ़ और पीठ की मांसपेशियों का लचीलापन बना रहता है. मार्जरी आसन एक आगे की ओर झुकने और पीछे मुड़ने वाला योग आसन है. कैट वॉक दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन हम योग आसन वर्ग में कैट पोज के बारे में चर्चा करते हैं. यह आसन आपके शरीर के लिए अनके प्रकार से लाभदायक है. यह आसन रीढ़ की हड्डी को एक अच्छा खिंचाव देता है. इसके साथ यह पीठ दर्द और गर्दन दर्द में राहत दिलाता है.

इसे भी पढ़ें – लंबे समय तक रहना चाहते हैं जवां तो करें शीर्षासन

मार्जरी आसन के फायदे
रीढ़ की हड्डी को अधिक लचीला बनने में मदद करता है

पाचन क्रिया में सुधार करने में मदद करती है
रक्त परिसंचरण में सुधार करती है
पेट से अनावश्यक वसा को कम करने में मदद करता है
पेट को टोन करने में मदद करता है
तनाव को दूर करने में बहुत मदद करता है
मन को शांत करके मानसिक शांति प्रदान करता है
कंधे और कलाई दोनों को मजबूत बनाता है

वृक्षासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सावधान की मुद्रा में सीधे खड़े हो जाएं. अब अपने दोनों हाथों को जांघों के पास ले आएं. इसके बाद धीरे-धीरे अपने दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे अपनी बाईं जांघ पर रखें. अब धीरे से सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं. अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर नमस्कार की मुद्रा बनाएं और गहरी सांसें भीतर की ओर खींचते रहें. अब सांसें छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें और धीरे से हाथों को नीचे की ओर ले आएं. इसके बाद इसी प्रक्रिया को बाएं पैर के साथ भी दोहराएं.

उष्ट्रासन
उष्ट्रासन में शरीर ऊंट की आकृति बनाता है. जैसे ऊंट रेगिस्तान के मुश्किल हालातों में भी आसानी से रह सकता है, अगर इस आसन का अभ्यास नियमित तौर पर किया जाए तो ये शरीर से हर शारीरिक और मानसिक परेशानी को दूर करके स्वस्थ जीवन देने में मदद करता है.

उष्ट्रासन के फायदे
पाचन सुधारने में मदद करता है
सीने और पेट के निचले हिस्से से अतिरिक्त चर्बी कम होती है
कमर और कंधों को मजबूत बनाता है
कमर के निचले हिस्से में दर्द कम करने में मदद करता है
इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ता है.
शरीर का पोश्चर सुधारने में भी ये आसन मदद करता है.

पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन योग का नाम दो शब्दों के मेल से बना है- पश्चिम और उत्तान. पश्चिम यानी पश्चिम दिशा या शरीर का पिछला हिस्सा और उत्तान मतलब खिंचा हुआ. रीढ़ की हड्डी के दर्द से निजात पाने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पश्चिमोत्तानासन योग करना चाहिए. इस आसन का अभ्यास करते समय शरीर के पिछले हिस्से यानी रीढ़ की हड्डी में खिंचाव उत्पन्न होता है, इस कारण इस आसन को पश्चिमोत्तानासन कहा जाता है. इस आसन को करने से शरीर का पूरा हिस्सा खिंच जाता है और यह शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है. जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उनके लिए पश्चिमोत्तानासन रामबाण की तरह काम करता है और इस रोग के लक्षणों को दूर करने में मदद करता है. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए भी यह आसन बहुत फायदेमंद माना जाता है.

पश्चिमोत्तानासन के फायदे
तनाव दूर करने में फायदेमंद
पेट की चर्बी दूर करने में मददगार
हड्डियों को लचीला बनाने में कारगर
बेहतर पाचन के लिए फायदेमंद
अनिद्रा की समस्या को दूर करता है

इसे भी पढ़ें – सूर्य नमस्‍कार से करें दिन की शुरुआत, बार बार नहीं पड़ेंगे बीमार

शशकासन
शशक का का अर्थ होता है खरगोश. इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशकासन कहते हैं. इस आसन को कई तरीके से किया जाता है. सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं और फिर अपने दोनों हाथों को श्वास भरते हुए ऊपर उठा लें. कंधों को कानों से सटा हुआ महसूस करें. फिर सामने की ओर झुकते हुए दोनों हाथों को आगे समानांतर फैलाते हुए, श्वास बाहर निकालते हुए हथेलियां को भूमि पर टिका दें. फिर माथा भी भूमि पर टिका दें. कुछ समय तक इसी स्थिति में रहकर फिर से वज्रासन की स्थिति में आ जाएं.

शशकासन के फायदे
हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है. यह आसन पेट, कमर व कूल्हों की चर्बी कम करके आंत, यकृत, अग्न्याशय व गुर्दों को बल प्रदान करता है. इस आसन के नियमित अभ्यास से तनाव, क्रोध, चिड़चिड़ापन जैसे मानसिक रोग भी दूर हो जाते हैं.





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button